What Is E-Invoice ?

E-Invoice क्या है? (What is E-Invoice?)

E-Invoice, यानी इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस, एक डिजिटल इनवॉइस है जो सरकारी पोर्टल (जैसे GST पोर्टल) पर अपलोड किया जाता है। यह एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट में होता है और इसे Invoice Reference Number (IRN) के साथ जेनरेट किया जाता है। E-Invoice का उद्देश्य व्यापारिक लेन-देन को पारदर्शी, सुरक्षित और ऑटोमेटेड बनाना है।


E-Invoice कब बनाया जाता है? (When is E-Invoice Generated?)

E-Invoice तब बनाया जाता है जब:

  1. बिक्री (Sale): जब कोई व्यवसाय सामान या सेवाएं बेचता है।
  2. सप्लाई (Supply): जब सामान या सेवाएं एक राज्य से दूसरे राज्य में सप्लाई की जाती हैं।
  3. जीएसटी लागू होने पर: जब लेन-देन पर जीएसटी (GST) लागू होता है।
  4. रजिस्टर्ड व्यवसाय द्वारा: जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसायों को E-Invoice जारी करना अनिवार्य है (यदि उनका टर्नओवर निर्धारित सीमा से अधिक है)।

E-Invoice किस पर लागू होता है? (Who is Required to Generate E-Invoice?)

भारत में, E-Invoice निम्नलिखित व्यवसायों पर लागू होता है:

  1. टर्नओवर के आधार पर:
  • 1 अक्टूबर 2022 से, 5 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले सभी जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसायों के लिए E-Invoice अनिवार्य है।
  • पहले यह सीमा 10 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसे घटाकर 5 करोड़ कर दिया गया है।
  1. व्यवसाय के प्रकार:
  • B2B (Business to Business) लेन-देन।
  • B2G (Business to Government) लेन-देन।
  • एक्सपोर्ट (Export) और इम्पोर्ट (Import) लेन-देन।
  1. वस्तु और सेवाएं:
  • सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर E-Invoice लागू होता है।

E-Invoice कैसे काम करता है? (How Does E-Invoice Work?)

  1. इनवॉइस तैयार करना: व्यवसाय अपने सॉफ्टवेयर या ERP सिस्टम में इनवॉइस तैयार करता है।
  2. IRN जेनरेट करना: इनवॉइस को इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) पर अपलोड किया जाता है, जहां एक यूनिक Invoice Reference Number (IRN) और QR कोड जेनरेट होता है।
  3. वैधता की जांच: IRP इनवॉइस को वेरिफाई करता है और इसे GST पोर्टल पर रिकॉर्ड करता है।
  4. इनवॉइस शेयर करना: विक्रेता (सेलर) IRN और QR कोड के साथ इनवॉइस खरीदार (बायर) को भेजता है।

E-Invoice के फायदे (Benefits of E-Invoice)

  1. पारदर्शिता: सभी लेन-देन सरकारी पोर्टल पर रिकॉर्ड होते हैं, जिससे टैक्स चोरी कम होती है।
  2. सटीकता: मैन्युअल एरर कम होते हैं क्योंकि डेटा ऑटोमेटिकली वेरिफाई होता है।
  3. GST रिटर्न फाइलिंग आसान: E-Invoice का डेटा सीधे GST रिटर्न में अपडेट हो जाता है।
  4. रियल-टाइम ट्रैकिंग: सरकार लेन-देन को रियल-टाइम में ट्रैक कर सकती है।
  5. कम पेपरवर्क: डिजिटल इनवॉइस से पेपरवर्क कम होता है।

E-Invoice में क्या जानकारी शामिल होती है? (Details Included in E-Invoice)

  1. विक्रेता का विवरण:
  • नाम, पता, GSTIN (GST Identification Number)।
  1. खरीदार का विवरण:
  • नाम, पता, GSTIN (यदि रजिस्टर्ड है)।
  1. इनवॉइस नंबर और तारीख
  2. सामान या सेवाओं का विवरण:
  • वस्तु का नाम, HSN/SAC कोड, मात्रा, दर, कुल मूल्य।
  1. कर विवरण:
  • CGST, SGST, IGST और अन्य कर।
  1. IRN और QR कोड
  2. भुगतान की शर्तें

E-Invoice के लिए आवश्यक दस्तावेज (Documents Required for E-Invoice)

  1. GST रजिस्ट्रेशन नंबर (GSTIN)
  2. वस्तु या सेवा का HSN/SAC कोड
  3. विक्रेता और खरीदार का विवरण
  4. इनवॉइस डेटा JSON फॉर्मेट में (IRP के लिए)।

E-Invoice के लिए पोर्टल (Portal for E-Invoice)

भारत में, E-Invoice जेनरेट करने के लिए इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) का उपयोग किया जाता है। कुछ प्रमुख IRP हैं:

  1. GSTN (Goods and Services Tax Network)
  2. NIC (National Informatics Centre)
  3. अन्य अप्रूव्ड पोर्टल

E-Invoice के नियम (Rules for E-Invoice)

  1. अनिवार्यता: 5 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायों के लिए E-Invoice अनिवार्य है।
  2. फॉर्मेट: इनवॉइस को JSON फॉर्मेट में तैयार करना होता है।
  3. समय सीमा: इनवॉइस जारी करने के 24 घंटे के भीतर IRP पर अपलोड करना अनिवार्य है।
  4. पेनल्टी: नियमों का पालन न करने पर जुर्माना लग सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

E-Invoice भारत में जीएसटी सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यापारिक लेन-देन को पारदर्शी, सुरक्षित और ऑटोमेटेड बनाता है। यदि आपका व्यवसाय जीएसटी रजिस्टर्ड है और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से अधिक है, तो E-Invoice जारी करना आपके लिए अनिवार्य है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top