ग्रेच्युटी अधिनियम (Gratuity Act), 1972, भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक कानून है जो कर्मचारियों को उनके सेवा काल के दौरान विशेष स्थितियों में ग्रेच्युटी (एक प्रकार का बोनस) प्रदान करने का प्रावधान करता है। यह कानून विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए है जो किसी प्रतिष्ठान, संगठन या कंपनी में काम करते हैं और निर्धारित नियमों के अनुसार उन्हें सेवा के अंत में ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है।
यह अधिनियम मुख्यतः कर्मचारी की कार्य अवधि के समाप्ति पर, जैसे कि सेवानिवृत्ति, मृत्यु, अयोग्यता या इस्तीफे पर, एक वित्तीय सुरक्षा के रूप में कार्य करता है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों को एक निश्चित राशि दी जाती है, जिसे “ग्रेच्युटी” कहा जाता है।
ग्रेच्युटी अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ:
- किसे लागू होता है:
- यह अधिनियम भारत में किसी भी संगठन या प्रतिष्ठान में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है, जिनकी कर्मचारी संख्या 10 या अधिक हो।
- यह प्राइवेट, सरकारी, और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।
- ग्रेच्युटी की पात्रता:
- कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए कम से कम 5 साल की लगातार सेवा पूरी करनी होती है।
- यदि कर्मचारी की मृत्यु या अयोग्यता के कारण सेवा समाप्त होती है, तो उसे 5 साल की शर्त को छोड़कर भी ग्रेच्युटी मिल सकती है।
- ग्रेच्युटी की गणना:
- ग्रेच्युटी की गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है: ग्रेच्युटी=कर्मचारी की अंतिम वेतन (सैलरी)26×सेवा का वर्ष\text{ग्रेच्युटी} = \frac{\text{कर्मचारी की अंतिम वेतन (सैलरी)}}{26} \times \text{सेवा का वर्ष}
- इसमें “अंतिम वेतन” का अर्थ होता है, उस कर्मचारी का अंतिम मासिक वेतन जिसमें बेसिक वेतन और डियरनेस अलाउंस (यदि लागू हो) शामिल हैं।
- 26 का उपयोग किया जाता है, क्योंकि एक महीने में औसतन 26 कार्य दिवस होते हैं।
- ग्रेच्युटी की गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है: ग्रेच्युटी=कर्मचारी की अंतिम वेतन (सैलरी)26×सेवा का वर्ष\text{ग्रेच्युटी} = \frac{\text{कर्मचारी की अंतिम वेतन (सैलरी)}}{26} \times \text{सेवा का वर्ष}
- ग्रेच्युटी की सीमा:
- एक कर्मचारी को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिल सकती है। इसके अलावा, कर्मचारी के लाभ को टैक्स भी लागू हो सकता है, लेकिन 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स नहीं लगता है।
- समाप्ति के कारण:
- कर्मचारियों को निम्नलिखित कारणों से ग्रेच्युटी मिल सकती है:
- सेवानिवृत्ति (Retirement): जब कर्मचारी अपनी नौकरी से रिटायर होते हैं।
- स्वैच्छिक इस्तीफा (Voluntary resignation): जब कर्मचारी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ता है, बशर्ते कि उसने 5 साल की सेवा पूरी की हो।
- मृत्यु (Death): यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को ग्रेच्युटी मिलती है।
- अयोग्यता (Disability): यदि कर्मचारी शारीरिक रूप से अयोग्य हो जाता है तो उसे ग्रेच्युटी मिलती है।
- कर्मचारियों को निम्नलिखित कारणों से ग्रेच्युटी मिल सकती है:
- वेतन की परिभाषा:
- वेतन में बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस (DA) शामिल होते हैं। अन्य भत्ते जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या ट्रांसपोर्ट अलाउंस आदि, ग्रेच्युटी की गणना में शामिल नहीं होते हैं।
- पेट्रोलियम कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के लिए विशिष्ट प्रावधान:
- सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों और तेल कंपनियों के कर्मचारियों के लिए कुछ विशेष प्रावधान हो सकते हैं, लेकिन सामान्यत: ये अधिनियम उन पर भी लागू होता है।
ग्रेच्युटी का भुगतान कैसे किया जाता है?
कर्मचारी के सेवा अवधि के समाप्त होने पर (जैसे सेवानिवृत्ति, मृत्यु या इस्तीफा), कर्मचारी का नियोक्ता निर्धारित ग्रेच्युटी की राशि उसे भुगतान करता है। यदि कर्मचारी का निधन हो जाता है, तो यह राशि उसके परिवार को दी जाती है।
टैक्स प्रावधान:
ग्रेच्युटी पर टैक्स भी लगता है, लेकिन अगर कर्मचारी की सेवा 5 साल से अधिक रही हो और प्राप्त राशि 10 लाख रुपये से कम हो, तो इसे टैक्स फ्री माना जाता है। इसके अलावा, ग्रेच्युटी के भुगतान के बाद यदि कोई राशि बची रहती है, तो उस पर उपयुक्त टैक्स लागू किया जाता है।
निष्कर्ष:
ग्रेच्युटी अधिनियम कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो उन्हें नौकरी की समाप्ति पर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक प्रकार का बोनस होता है जो कर्मचारियों को उनके लंबी सेवा के लिए सम्मान और सहारा देने का काम करता है।
अगर आपको इस अधिनियम के बारे में और जानकारी चाहिए या कोई विशिष्ट सवाल है, तो आप पूछ सकते हैं!