VAT (Value Added Tax) यानी मूल्य वर्धित कर एक अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) है जो उत्पादन, वितरण और बिक्री के हर चरण में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यह कर उपभोक्ता द्वारा अंततः चुकाया जाता है। VAT का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को पारदर्शी और सरल बनाना है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
VAT क्या है?
- VAT एक ऐसा कर है जो उत्पाद या सेवा के मूल्य में हर चरण पर होने वाली वृद्धि (Value Addition) पर लगाया जाता है।
- यह कर उत्पादन से लेकर खुदरा बिक्री तक हर स्तर पर लागू होता है।
- उदाहरण: अगर एक वस्तु का उत्पादन करने में ₹100 का खर्च आता है और उसे ₹150 में बेचा जाता है, तो ₹50 की वृद्धि पर VAT लगेगा।
VAT कब लागू हुआ?
- VAT को भारत में 1 अप्रैल 2005 से लागू किया गया था।
- इसे राज्य सरकारों द्वारा लागू किया गया था, क्योंकि यह राज्यों का कर (State Tax) था।
- VAT ने पुराने कर प्रणाली (जैसे Sales Tax) को बदल दिया, जो कम पारदर्शी और जटिल थी।
VAT क्यों लागू किया गया?
- कर चोरी को रोकना: पुरानी कर प्रणाली में कर चोरी की संभावना अधिक थी। VAT ने इसे कम किया।
- पारदर्शिता: VAT ने कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाया।
- राजस्व बढ़ाना: VAT के माध्यम से राज्य सरकारों को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ।
- कर के बोझ को वितरित करना: यह कर उत्पादन और वितरण के हर चरण में वितरित होता है।
VAT कैसे काम करता है?
- VAT उत्पादन, थोक और खुदरा बिक्री के हर चरण पर लगाया जाता है।
- हर चरण पर, व्यापारी पिछले चरण में चुकाए गए VAT को अपने VAT से घटा सकता है। इसे Input Tax Credit (ITC) कहते हैं।
- अंत में, उपभोक्ता को पूरा VAT चुकाना पड़ता है।
उदाहरण:
- उत्पादक: कच्चा माल खरीदता है और ₹100 पर 10% VAT (₹10) चुकाता है।
- थोक व्यापारी: उत्पादक से सामान ₹150 में खरीदता है और 10% VAT (₹15) चुकाता है, लेकिन पहले चरण का VAT (₹10) घटा देता है। इसलिए, वह केवल ₹5 VAT चुकाता है।
- खुदरा व्यापारी: थोक व्यापारी से सामान ₹200 में खरीदता है और 10% VAT (₹20) चुकाता है, लेकिन पिछले चरण का VAT (₹15) घटा देता है। इसलिए, वह केवल ₹5 VAT चुकाता है।
- उपभोक्ता: खुदरा व्यापारी से सामान ₹220 (₹200 + ₹20 VAT) में खरीदता है। यहाँ, उपभोक्ता अंतिम VAT (₹20) चुकाता है।
VAT के फायदे
- पारदर्शिता: कर प्रणाली सरल और पारदर्शी हो गई।
- राजस्व में वृद्धि: राज्य सरकारों को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ।
- कर चोरी में कमी: Input Tax Credit के कारण कर चोरी कम हुई।
- उद्योगों को बढ़ावा: कर प्रणाली सरल होने से व्यापार करना आसान हो गया।
VAT की समस्याएँ
- जटिलता: छोटे व्यापारियों के लिए VAT का प्रबंधन मुश्किल था।
- करों का ढेर: VAT के साथ अन्य कर (जैसे CST, Excise Duty) भी लगते थे, जिससे करों का बोझ बढ़ता था।
- राज्यों के बीच असमानता: अलग-अलग राज्यों में VAT की दरें अलग-अलग थीं।
VAT का अंत और GST का आगमन
- 1 जुलाई 2017 को भारत में GST (Goods and Services Tax) लागू किया गया।
- GST ने VAT, Excise Duty, Service Tax जैसे अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर प्रणाली में समाहित कर दिया।
- GST ने कर प्रणाली को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाया।
निष्कर्ष
VAT ने भारत में कर प्रणाली को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसकी कुछ कमियों के कारण इसे GST द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। GST ने VAT की तुलना में अधिक एकीकृत और सरल कर प्रणाली प्रदान की है।